What is the language called? How many forms does it have? भाषा किसे कहते है? इसके कितने रूप है? Bhasha kise kehte hai? Iske kitne roop hote hai?
भाषा किसे कहते है?
परिभाषा-“भाषा मानव मुख से निकली वे सार्थक ध्वनियाँ हैं जो दूसरों तक अपनी बात पहुँचाने का काम करती है।”
भाषा किसे कहते है?
भाषा संप्रेषण का माध्यम होती है, इसकी सहायता से हम अपने विचारों, भावों एवं भावनाओं को अभिव्यक्त करते हैं। भाषा शब्द की उत्पत्ति संस्कृत की भाष्’ धातु से हुई है जिसका अर्थ होता है-वाणी को प्रकट करना। व्यापक अर्थ में, संसार के विभिन्न प्राणियों द्वारा प्रयुक्त भावाभिव्यक्ति के इन साधनों-अंग-प्रत्यंग के संचालन, भाव मुद्राओं और ध्वनि संकेतों को भाषा कहते हैं।
अतः कह सकते हैं कि भाषा की अभिव्यक्ति बोलकर, संकेत द्वारा तथा लिखित रूप में होती है। अभिव्यक्ति की दृष्टि से भाषा उच्चरित एवं सीमित ध्वनियों का संगठन है।
भाषा के दो रूप(Kinds of Language)
किसी भी भाषा के दो रूप होते हैं—
- (क) मौखिक रूप,
- (ख) लिखित रूप।
(क) मौखिक रूप (Oral form)
भावाभिव्यक्ति एवं विचार-विनिमय हेतु किसी समाज द्वारा स्वीकृत ध्वनि या संकेतों के समूह को भाषा का मौखिक रूप कहते हैं। मनुष्य भाषा के इस रूप को अपने अनुभव तथा विचारों द्वारा एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी को हस्तांतरित करता है। मुख से जो कुछ भी बोला जाए तथा कानों से सुना जाए उस भाषा को मौखिक या वाचन भाषा कहते हैं। इसमें विचारों को आपस में बातचीत द्वारा प्रकट करते हैं।
(ख) लिखित रूप (Written form)-
भाषा के मौखिक रूप को सुरक्षित रखने एवं उसे व्यापकता प्रदान करने हेतु प्रत्येक सभ्य समाज ने अपनी-अपनी भाषा के विभिन्न ध्वनि संकेतों के लिए भिन्न-भिन्न चिह्न अंकित किए, जिन्हें एक व्यवस्थित रूप देकर प्रामाणिक रूप दिया गया, जिससे उसका अवलोकन कर पढ़-लिख सकें, यह लिखित रूप कहलाता है। हम कह सकते हैं कि जो कुछ लिखा और पढ़ा जाता है वह भाषा का लिखित रूप होता है। लिखित रूप भाषा का स्थायी रूप है। इसे स्थायी भाषा भी कहा जाता है।
बोली (Dialect)
भावों और विचारों की अभिव्यक्ति एवं सामाजिक अंतःक्रिया के लिए समाज द्वारा स्वीकृत जिन ध्वनि संकेतों का प्रयोग होता है, उसे बोली कहते हैं। बोली किसी भाषा की उपभाषा या उपभाषा की भी एक अंग-उपांग होती है। इसकी शब्दावली सीमित होती है। इसी प्रकार, यह किसी भी क्षेत्र विशेष में वहाँ के निवासियों द्वारा अपने विचारों के आदान-प्रदान का साधन होती है। भारत में लगभग 1650 बोलियाँ प्रयुक्त होती हैं।
लिपि (Script)
परिभाषा–मौखिक ध्वनियों तथा भावों को लिखकर प्रकट करने वाले चिह लिपि कहलाते हैं।
प्रत्येक भाषा की अपनी लिपि और उसके लिखने की अपनी विधि होती है। इसके द्वारा ही अपना साहित्य आने वाली पीढ़ियों के लिए सुरक्षित रखा जा सकता है। निष्कर्षतः लिखित भाषा में प्रत्येक ध्वनि के लिए कोई न कोई चिह निश्चित होता है।
हिंदी और संस्कृत देवनागरी लिपि में लिखी जाती हैं। इस लिपि का विकास बाह्मी लिपि से हुआ है। इसी के द्वारा बाँग्ला, मराठी, गुजराती और पंजाबी आदि भाषाओं की लिपियाँ सृजित हुई हैं।
अंग्रेज़ी भाषा रोमन लिपि में, पंजाबी भाषा गुरुमुखी लिपि में, उर्दू-फारसी फारसी लिपि में, अरबी भाषा अरबी लिपि में लिखी जाती है। उर्दू, फारसी और अरबी लिपियाँ दाईं ओर से बाईं ओर को लिखी जाती हैं।
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