रेणुका माता की आरती लिरिक्स हिंदी में।
Blog

रेणुका माता की आरती लिरिक्स हिंदी में।

रेणुका माता की आरती लिरिक्स हिंदी में -Renuka mata ki aarti lyrics in Hindi.

मौसा दोस्तों स्वागत है आप सभी का यदि आपका माता की आरती करना चाहते हैं और उनके लिरिक्स आपको नहीं आते हैं तो आज हम रेणुका माता की आरती के लिरिक्स हिंदी में बताएंगे।

सबसे पहले आपको बता दें एवं आता क्यों दी जाती है यह कहानी हिंदुओं में बहुत ही प्रसिद्ध है जब परशुराम ने अपनी माता का गला अपनी पिता की आज्ञा पर काट दिया था किंतु ऐसा करने के बाद परशुराम बहुत दुखी हुए थे उसके बाद पिता ने उन्हें एक वरदान मांगने की आज्ञा दी इसके बाद उन्होंने अपनी ही मां का कटा हुआ से वापस जोड़ने को कहा के बाद रेणुका मां फिर से ठीक हो गई।

रेणुका माता की आरती लिरिक्स

जय जय जगदंबे | श्री अंबे | रेणुके कल्पकदंबे | जय जय || धृ ||

अनुपम स्वरुपाची तुझी धाटी | अन्य नसे या सृष्टी |
तुज सम रूप दुसरे, परमेष्टी | करिता झाला कष्टी |
शशीरस रसरसला ,वदनपुटी | दिव्य सुलोचन दृष्टी |
सुवर्ण रत्नांच्या, शिरी मुकुटी | लोपती रविशशी कोटी |
गजमुखी तुज स्तविले हेरंबे | मंगल सकळारंभे || जय जय || १ ||

कुमकुम चिरी शोभे मळवटी | कस्तुरी टिळक लल्लाटी |
नासिक अति सरळ, हनुवटी | रुचिरामृत रस ओठी |
समान जणू लवल्या, धनुकोटी | आकर्ण लोचन भ्रुकुटी |
शिरी नीट भांगवळी, उफराटी | कर्नाटकची घाटी |
भुजंग नीळरंगा, परी शोभे | वेणी पाठीवर लोंबे || जय जय || २ ||

कंकणे कनकाची मनगटी | दिव्य मुद्या दश बोटी |
बाजूबंद जडे बाहुबटी | चर्चुनी केशर उटी | सुगंधी पुष्पांचे हार कंठी |
बहु मोत्यांची दाटी | अंगी नवी चोळी, जरीकाठी | पीत पितांबर तगटी |
पैंजण पदकमळी, अति शोभे | भ्रमर धावती लोभे || जय जय ||३ ||

साक्षप तू क्षितिच्या तळवटी | तूचि स्वये जगजेठी |
ओवाळीत आरती, दिपताटी | घेऊनी कर संपुष्टी |
करुणामृत हृदये, संकटी | धावसी भक्तांसाठी | विष्णूदास सदा, बहुकष्टी | देशील जरी नीजभेटी |
तरी मग काय उणे, या लाभे | धाव पाव अविलंबे || जय जय || ४ ||

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *